बजरंग बाण को हनुमान जी की आराधना कर उनका आशीर्वाद पाने का सबसे अचूक उपाय माना जाता है। चूँकि बजरंग बली प्रभु श्री राम के परम् भक्त हैं, इसलिए बजरंग बाण में मुख्य रूप से भगवान् राम की भी सौगंध दी गयी है। ऐसी मान्यता है कि जब भी आप श्री राम का सौगंध लेंगें, तो हनुमान जी आपकी मदद के लिए ज़रूर अग्रसर होंगें। उपरोक्त बजरंग बाण में श्री राम की सौगंध इस निम्न पंक्तियों में दिलाई गयी है।
इन्हें मारु,तोहिं सपथ राम की।राखु नाथ मर्याद नाम की।
जनक सुता हरि दास कहावौ।ताकी सपथ विलम्ब न लावौ।
उठु उठु चलु तोहिं राम दोहाई।पाँय परौं कर जोरि मनाई।।
बजरंग बाण का पाठ कर निम्नलिखित समस्याओं से मुक्ति पा सकते हैं
विवाह में आने वाली बाधाओं को दूर करने के लिए: यदि आपके विवाहित जीवन में भी कोई समस्या आ रही है, तो हिन्दू धार्मिक मान्यताओं के अनुसार कदली पेड़ के नीचे बैठकर बजरंग बाण का पाठ करने से आपको लाभ मिल सकता है। इसे हनुमान जी का आशीर्वाद प्राप्त होगा और जीवन सुखमय बीतेगा।
ग्रह दोष समाप्ति के लिए: यदि आपकी कुंडली में किसी प्रकार का ग्रह दोष मौजूद है तो आपको नियमित रूप से सूर्योदय से पूर्व उठकर बजरंग बाण का पाठ करना चाहिए। इस दौरान आटे से बना दिया जलाना ना भूलें। ऐसा करके आप कुंडली में मौजूद दोषों को दूर करने में सफलता प्राप्त कर सकते हैं।
गंभीर बीमारियों से निजात: किसी भी प्रकार की गंभीर बीमारी जैसे कि अल्सर, कैंसर, लिवर में दिक्कत आदि बीमारियों से निजात पाने के लिए राहुकाल में हनुमान जी को कुल 21 पान के पत्तों की माला चढ़ाते हुए बजरंग बाण का पाठ करें। इस दौरान घी के दीये जलाना ना भूलें।
कार्यक्षेत्र में सफलता के लिए: यदि आप कार्यक्षेत्र में किसी प्रकार की समस्या का सामना कर रहे हैं, तो आपको मंगलवार के दिन खासतौर से व्रत रखकर हनुमान जी की पूजा अर्चना करने के बाद बजरंग बाण का पाठ करना चाहिए। इस दिन हनुमान जी को एक नारियल चढ़ाएं और उसे किसी लाल कपड़े में लपेट कर घर के एक कोने में रख दें।
वास्तुदोष दूर करने के लिए: वास्तुदोष की वजह से व्यक्ति को जीवन में कई समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। यदि आप नियमित रूप से प्रतिदिन तीन बार बजरंग बाण का पाठ करते हैं, तो इससे आपके वास्तुदोष दूर हो सकते हैं। इसके साथ ही घर में पंचमुखी हनुमान जी की मूर्ति स्थापित करके भी इस दोष से मुक्त हो सकते हैं।
मांगलिक दोष दूर करने के लिए: मांगलिक दोष के निवारण के लिए प्रत्येक मंगलवार को यदि बजरंग बाण का पाठ किया जाए, तो इससे मांगलिक दोष का निवारण जल्द हो सकता है। साथ ही राहु और केतु की महादशा होने पर भी इसका पाठ लाभप्रद हो सकता है।
बजरंग बाण
” दोहा “
“निश्चय प्रेम प्रतीति ते, बिनय करैं सनमान।”
“तेहि के कारज सकल शुभ, सिद्ध करैं हनुमान॥”
“चौपाई”
जय हनुमन्त सन्त हितकारी। सुन लीजै प्रभु अरज हमारी।।
जन के काज विलम्ब न कीजै। आतुर दौरि महासुख दीजै।।
जैसे कूदि सिन्धु महि पारा। सुरसा बदन पैठि विस्तारा।।
आगे जाई लंकिनी रोका। मारेहु लात गई सुर लोका।।
जाय विभीषण को सुख दीन्हा। सीता निरखि परमपद लीन्हा।।
बाग़ उजारि सिन्धु महँ बोरा। अति आतुर जमकातर तोरा।।
अक्षयकुमार को मारि संहारा। लूम लपेट लंक को जारा।।
लाह समान लंक जरि गई। जय जय धुनि सुरपुर में भई।।
अब विलम्ब केहि कारण स्वामी। कृपा करहु उर अन्तर्यामी।।
जय जय लक्ष्मण प्राण के दाता। आतुर होय दुख हरहु निपाता।।
जै गिरिधर जै जै सुखसागर। सुर समूह समरथ भटनागर।।
ॐ हनु हनु हनुमंत हठीले। बैरिहिंं मारु बज्र की कीले।।
गदा बज्र लै बैरिहिं मारो। महाराज प्रभु दास उबारो।।
ऊँकार हुंकार प्रभु धावो। बज्र गदा हनु विलम्ब न लावो।।
ॐ ह्रीं ह्रीं ह्रीं हनुमंत कपीसा। ऊँ हुं हुं हुं हनु अरि उर शीशा।।
सत्य होहु हरि शपथ पाय के। रामदूत धरु मारु जाय के।।
जय जय जय हनुमन्त अगाधा। दुःख पावत जन केहि अपराधा।।
पूजा जप तप नेम अचारा। नहिं जानत हौं दास तुम्हारा।।
वन उपवन, मग गिरिगृह माहीं। तुम्हरे बल हम डरपत नाहीं।।
पांय परों कर ज़ोरि मनावौं। यहि अवसर अब केहि गोहरावौं।।
जय अंजनिकुमार बलवन्ता। शंकरसुवन वीर हनुमन्ता।।
बदन कराल काल कुल घालक। राम सहाय सदा प्रतिपालक।।
भूत प्रेत पिशाच निशाचर। अग्नि बेताल काल मारी मर।।
इन्हें मारु तोहिं शपथ राम की। राखु नाथ मरजाद नाम की।।
जनकसुता हरिदास कहावौ। ताकी शपथ विलम्ब न लावो।।
जय जय जय धुनि होत अकाशा। सुमिरत होत दुसह दुःख नाशा।।
चरण शरण कर ज़ोरि मनावौ। यहि अवसर अब केहि गोहरावौं।।
उठु उठु चलु तोहि राम दुहाई। पांय परों कर ज़ोरि मनाई।।
ॐ चं चं चं चं चपत चलंता। ऊँ हनु हनु हनु हनु हनुमन्ता।।
ऊँ हँ हँ हांक देत कपि चंचल। ऊँ सं सं सहमि पराने खल दल।।
अपने जन को तुरत उबारो। सुमिरत होय आनन्द हमारो।।
यह बजरंग बाण जेहि मारै। ताहि कहो फिर कौन उबारै।।
पाठ करै बजरंग बाण की। हनुमत रक्षा करै प्राण की।।
यह बजरंग बाण जो जापै। ताते भूत प्रेत सब काँपै।।
धूप देय अरु जपै हमेशा। ताके तन नहिं रहै कलेशा।।
“दोहा”
” प्रेम प्रतीतहि कपि भजै, सदा धरैं उर ध्यान।
“” तेहि के कारज सकल शुभ, सिद्घ करैं हनुमान।। ”
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