Vishkanya Yog विषकन्या योग क्या है, कैसे बनता है यह योग कुंडली में, क्यों मानते हें इसे अशुभ
What is Vishkanya yog विषयोग या विषकन्या योग, अपने कुंडली में कई तरह के योग के बारे में सुना होगा। लेकिन, शायद ही आपके विष कन्या योग के बारे में सुना होगा। क्या आप जानते हैं ज्योतिष शास्त्र में विष कन्या योग को बहुत ही अशुभ माना गया है। तो आइए जानते हैं विषकन्या योग क्या है और इसके उपाय क्या हैं।
विषयोग या विषकन्या योग: विषकन्या नाम सुनकर आपको टीवी सीरियल की याद आ सकती है लेकिन यह असल जिंदगी में भी होती है। ज्योतिषशास्त्र में इसे बहुत ही अशुभ योग माना गया है। किसी कन्या की कुंडली में खास ग्रह नक्षत्रों की स्थिति से यह योग निर्मित होता है। मान्यता है कि जिस लड़की की कुंडली में यह योग बनता है उन्हें जीवन में कई तरह की कठिनाइयों और कष्ट का सामना करना पड़ता है क्योंकि अपने नाम के अनुसार ही यह योग जहरीला होता है जो जीवन में जब भी सुख आता है उसे अपने विष से खराब कर देता है। आइए जानते हैं ऐस्ट्रॉलजर आरती दहिया से, विषकन्या योग कैसा बनता है और इस योग के होने पर कौन से उपाय करने से प्रतिकूल प्रभाव से राहत पा सकते हैं।
ज्योतिषशास्त्र में मांगलिक योग, कालसर्प योग, केमद्रुम, जैसे अशुभ योगों में विषकन्या योग भी शामिल है। विषकन्या योग को सभी अशुभ योगों में प्रमुख में कह सकते हैं। इस योग के होने से सबसे ज्यादा परेशानी वैवाहिक जीवन में देखा जाता है। इसलिए विवाह के समय इस योग की जांच जरूर करनी चाहिए।
इन स्थितियों में बनता है विषकन्या योग
- अश्लेषा या शतभिषा नक्षत्र में जन्म हो और उस दिन रविवार के साथ द्वितीया तिथि भी हो तो विषकन्या योग बनता है।
- कृतिका, विशाख़ा या शतभिषा शतभिषा नक्षत्र हो और उस दिन रविवार के साथ द्वादशी तिथि भी मौजूद हो तब यह योग बनता है।
- अश्लेषा, विशाखा या शतभिषा नक्षत्र हो औऱ साथ में मंगलवार और सप्तमी तिथि भी हो तब विषकन्या योग निर्मित होता है।
- अश्लेषा नक्षत्र शनिवार के दिन कन्या का जन्म हो और साथ में द्वितीया तिथि भी हो तो यह अशुभ योग कुंडली में होता है।
- शतभिषा नक्षत्र में मंगलवार के दिन द्वादशी तिथि में किसी कन्या के जन्म होने पर उस कन्या की कुंडली में यह अशुभ विषकन्या योग बनता है।
- शनिवार के दिन कृतिका नक्षत्र हो साथ में सप्तमी या द्वादशी तिथि हो तब विषकन्या योग प्रभावी होता है।
- कुंडली में शनि लग्न में, सूर्य पंचम भाव में और मंगल नवम भाव में होने पर भी ‘विषकन्या योग का निर्माण होता है।
- कुंडली के लग्न में कोई पाप ग्रह बैठा है और अन्य शुभ ग्रह जैसे चंद्रमा, शुक्र, गुरु, बुध कुंडली छठे, आठवें या बारहवें घर में हों तब विषकन्या योग बनता है।
- किसी कन्या की कुंडली में छठे स्थान पर कोई पाप ग्रह जैसे शनि,राहु, केतु किसी अन्य दो शुभ ग्रहों के साथ युति बनाए तो यह ‘विषकन्या योग बनाता है।
- इसके अलावा यदि किसी कन्या की जन्मकुंडली के सप्तम स्थान में कोई भी पाप ग्रह राहु,केतु,शनि,मंगल बैठा हो और उसे इनमें से कोई दूसरा ग्रह आमने-सामने बैठकर देख रहा हो ता विषकन्या योग प्रभावी होता है।
- विषकन्या योग हमारे जीवन में बहुत नकारात्मक प्रभाव लाते है। इस योग से पीड़ित जातक को अपने जीवन में अशुभ फलो की प्राप्ति होती है। उनके संपर्क में आने वाले लोगों का जीवन भी इस योग के प्रभाव से
विषकन्या योग के उपाय
जिस भी स्त्री की कुंडली में विषकन्या योग का निर्माण होता है उसे वटसावित्री व्रत जरूर करना चाहिए।
विषकन्या योग से पीड़ित कन्या के विवाह से पूर्व कुंभ, श्रीविष्णु, पीपल अथवा शमी या बेर के वृक्ष के साथ उसका विवाह कराना चाहिए। इससे प्रतिकूल प्रभाव दूर होता है।
विषकन्या योग से निजात पाने के लिए सर्वकल्याणकारी “विष्णुसहस्त्रनाम” का पाठ आजीवन करना चाहिए।
गुरु बृहस्पति की आराधना से भी विषकन्या योग के अशुभ फलों में कमी आती है।
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