स्कंदमाता की पूजा विधि, मंत्र, आरती और भोग
Skandmata puja vidhi : अपने भक्तों पर पुत्र के समान स्नेह लुटानी वाली स्कंदमाता की पूजा विधि, मंत्र और भोग क्या है आइए इस लेख में जानते हैं.
Navratri puja Vidhi : आज मां दुर्गा के पांचवें स्वरूप यानी स्कंदमाता की पूजा की जाएगी. मान्यता है कि भगवती के स्कंद स्वरूप की आराधना करने से व्यक्ति की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं और मोक्ष का मार्ग भी आसान होता है. यह भी माना जाता है कि इनकी सच्चे मन से भक्ति करने से संतान की प्राप्ति होती है. आपको बता दें कि देवी स्कंद को गौरी,महेश्वरी, पार्वती और उमा के नाम से भी जाना जाता है. मां का यह स्वरूप कमल फूल पर विराजमान होता है इसलिए इन्हें पद्मासन देवी भी कहते हैं. देवी दुर्गा के इस स्वरूप का वर्णन देवी पुराण और स्कंद पुराण में मिलता है.अपने भक्तों पर पुत्र के समान स्नेह लुटानी वाली स्कंदमाता की पूजा विधि, मंत्र और भोग क्या है आइए इस लेख में जानते हैं.
कैसे करें स्कंदमाता की पूजा | Skandmata puja vidhi
– ब्रह्म मुहूर्त में स्नान करके साफ वस्त्र धारण कर लीजिए.
– इसके बाद पूजा के लिए आसन बिछाकर बैठ जाएं.
– फिर आप मां की प्रतिमा को गंगाजल से स्नान कराएं.
– फिर मां की प्रतिमा पर कुमकुम लगाएं.
– इसके बाद देवी को भोग लगाएं.
– अंत में मां की आरती और मंत्र से पूजा को संपन्न करें.
क्या लगाएं भोग | Maa Skandmata bhog
स्कंद माता को आप केले और खीर का भोग लगा सकते हैं. यह दोनों चीजें उन्हें बहुत प्रिय हैं.
मां को कौन सा रंग प्रिय है | Favorite color Maa Skandmata
देवी के पांचवें स्वरूप को श्वेत रंग बहुत पसंद है.
स्कंद माता आरती | Maa Skandamata arti
जय तेरी हो स्कंद माता। पांचवा नाम तुम्हारा आता।।
सब के मन की जानन हारी। जग जननी सब की महतारी।।
तेरी ज्योत जलाता रहूं मैं। हरदम तुम्हें ध्याता रहूं मैं।।
कई नामों से तुझे पुकारा। मुझे एक है तेरा सहारा।।
कही पहाड़ो पर हैं डेरा। कई शहरों में तेरा बसेरा।।
हर मंदिर में तेरे नजारे। गुण गाये तेरे भगत प्यारे।।
भगति अपनी मुझे दिला दो। शक्ति मेरी बिगड़ी बना दो।।
इंद्र आदी देवता मिल सारे। करे पुकार तुम्हारे द्वारे।।
दुष्ट दत्य जब चढ़ कर आएं। तुम ही खंडा हाथ उठाएं।।
दासो को सदा बचाने आई। ‘चमन’ की आस पुजाने आई।।
पूजा के अंत में क्षमा प्रार्थना जरूर पढ़े
अपराधसहस्त्राणि क्रियन्तेऽहर्निशं मया।
दासोऽयमिति मां मत्वा क्षमस्व परमेश्वरि॥1॥
मंत्र: ॐ ऐं ह्रीं क्लीं स्कन्दमातायै नम:
अर्थ- हे स्कंदमाता, जो ज्ञान और समृद्धि की स्वामिनी हैं, आपको मेरा नमन.
या देवी सर्वभूतेषु मां स्कंदमाता रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।
अर्थ- जो देवी सभी प्राणियों में स्थित हैं और मां स्कंदमाता के रूप में पूजनीय हैं, उन्हें बार-बार नमन है.
मंत्र जाप विधि | Mantra Jaap Vidhi
मां स्कंदमाता के मंत्रों का जाप 108 बार करना चाहिए.
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