मुख्यतया: श्रीमद् भागवत महापुराण path का आयोजन के अनुसार भाद्रपद, आश्विन, कार्तिक, मार्गशीष, आषाढ़ और श्रावण के महीने अनुकूल या श्रेष्ठ माने जाते है। इन महीनो में कथा सुनने से मोक्ष की प्राप्ति आसान हो जाती है।
इसके अतिरिक्त श्रीमद् भागवत path सुनना और सुनाना दोनों ही मुक्तिदायिनी है तथा आत्मा को मुक्ति का मार्ग दिखाती है। श्रीमद् भागवत पुराण को मुक्ति ग्रंथ कहा गया है, इसलिए अपने पितरों की शांति के लिए इसे हर किसी को आयोजित कराना चाहिए। इसके अलावा रोग-शोक, पारिवारिक अशांति दूर करने, आर्थिक समृद्धि तथा खुशहाली के लिए इसका आयोजन किया जाता ह
यदि आप श्रीमद् भागवत महापुराण की कथा की आयोजन करवाने का सोच रहे है का चयन आपके लिए मोक्ष का द्वार है क्यों की यहाँ पर श्रीमद् भागवत महापुराण सम्पूर्ण वैदिक- क्रिया द्वारा संपन्न करवाते है जिससे आपके भाग्य परिवर्तन संभव है |
हम Aapkapandit ऐसी धार्मिक गतिविधि को करने के लिए अनुभवी/पेशेवर पंडितो को नियुक्त करने से के साथ- साथ आपकी सभी जरूरतों का ख्याल रखते है।
ऑनलाइन पंडित बुक करने के लिए आपको Aapkaपंडित के ऑनलाइन पोर्टल पर जाकर “बुक अ पंडित” बटन पर क्लिक करना होगा | और हमारे साथ अपना विवरण दर्ज करना होगा: पूरा नाम, आपका ई-मेल पता, मोबाइल नंबर, पूजा की तारीख, पूजा का प्रकार और स्थान का पता। यह प्रकिया बहुत ही आसान है |
इसके अतिरिक्त आप श्रीमद् भागवत महापुराण के लिए व्हाट्सएप, मेल या 8108617265 नम्बर पर कॉल करके भी पंडित अपना पंडित बुक करवा सकते है |
अब हम इसी क्रम में श्रीमद् भागवत महापुराण आयोजन में प्रयुक्त होने वाली सामग्री की चर्चा कर लेते है जिससे की हम इस धार्मिक अनुष्ठान को बिना किसी व्यवधान के पूर्ण करवा जा सके | क्यों की कई बार इसा देखा गया है की अगर सामग्री का चयन यदि सही ढ़ग से नहीं हो पता है तो कथा में विराम लग जाता है जो कि शास्त्रानुसार सही नहीं होता है और इसका दुष्परिणाम यह होता है की शतप्रतिशत फल की प्राप्ति पूर्ण रूप से यजमान को नहीं हो पाती |
चूँकि श्रीमद् भागवत महापुराण कथा साप्ताहिक होती है तो आपको सामग्री की व्यवस्था भी उसी अनुरूप करनी होती है |
यहाँ हम Aapkaपंडित आपको श्रीमद् भागवत महापुराण path की सप्ताह पूजा के लिए प्रयुक्त होने वाली सामग्री के बारे में बता रहे है जिससे की आपको बाद में आपको परेशानी का सामना न करना पड़े |
श्रीमद् भागवत महापुराण पूजन सामग्री: सप्ताह पूजा के लिए आपको निम्नलिखित सामग्री की आवश्यकता होती है:
सामग्री | मात्रा |
रोली | 50 ग्राम |
कलावा (मौली ) | 10 ग्राम |
सिन्दूर | 50 ग्राम |
लौंग | 25 ग्राम |
इलायची | 25 ग्राम |
सुपारी | 500 ग्राम |
हल्दी | 50 ग्राम |
अबीर | 50 ग्राम |
गुलाल | 50 ग्राम |
अभ्रक | 50 ग्राम |
गंगाजल | 1 लीटर |
गुलाबजल | 1 बोतल |
इत्र बडी | 1 शीशी |
शहद | 250 ग्राम |
धूपबती | 10 पैकेट |
रूईबती गोल | 2 पैकेट |
रूईबती बण्डल | 1 पैकेट |
जनैऊ | 1 बण्डल |
पीली सरसों | 100 ग्राम |
देशी घी | ढाई किलों |
कपूर | 200 ग्राम |
माचिस | 1 पैकेट |
जौ | एक किलों |
दोना बड़ा साइज | 5 गडडी |
पंचमेवा | सवा किलों |
श्वेत चन्दन | 50 ग्राम |
अष्टगंध चन्दन | 50 ग्राम |
गरी गोला | ग्यारह पीस |
चावल | ग्यारह किलो |
मिट्टी की पियाली | 15 |
दियाली | 40 |
मिट्टी की कलश | 04 |
पानी का नारीयल | 02 पीस |
लाल, हरा, पीला, काला रंग | 10 + 10 ग्राम |
सप्तम्रतिका | 1 पैकेट |
सर्वोषधि | 1 पैकेट |
सप्तधान्य | 100 ग्राम |
पंचरत्न | 1 डिब्बी |
मिश्री | 500 ग्राम |
चीनी | सवा किलो |
वेदी निर्माण हेतु चौकी | ढाई बाई ढाई की एक |
दो बाई दो की चार चौकी | – |
पीढ़ी चार | – |
एक हरा बांस लम्बे साइज में झंडा लगाने हेतु | – |
हनुमान जी का झंडा बड़ा लाल वर्ण | – |
धुंधकारी का काला झंडा अथवा काला कपडा (काला झंडा ऐसे बने की मोटे बांस में लगाया जा सके) | – |
बालू की व्यवस्था (जो बोने के लिए) | – |
तुलसी का पौधा हरा भरा गमला सहित | – |
शुक्रदेव सवरूप तोता पिंजरा सहित | – |
लड्डू गोपाल अथवा लक्ष्मीनारायण की मूर्ति एक | – |
चित्रपट में – राधाकृष्ण, रामदरबार, शिवपरिवार, व दुर्गा का स्वरूप | – |
इसके अलावा पीला कपडा पांच मीटर सूती ,लाल कपडा तीन मीटर, सफेद कपडा तीन मीटर, हरा कपडा तथा काला कपडा 2 + 2 मीटर की जरुरत होगी |
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