गणेशजी की स्थापना और पूजा की शुरुआत महाराष्ट्र राज्य से हुई थी. थोर सेनानी लोकमान्य गंगाधर तिलक ने, अंग्रेजों खिलाफ देश में नागरिकोंको एक साथ लेन के लिए, इस उत्सव की शुरुवात 1892 में की थी.
हमारे भारत देश में ऐसे कई त्योहार है जो धार्मिक पहचान के साथ-साथ क्षेत्र-विशिष्ट संस्कृति को दर्शाते हैं. हर धर्म के लोग एक या दूसरे तरीके से इन त्योहारों को मानते हैं. जिस तरह उत्तरी भाग में भगवान शिव जी की अर्चना प्रचालित है. उसी तरह महाराष्ट्र राज्य के लाड़ले भगवान गणेश जी का उत्सव भी बड़े धूमधाम से मनाया जाता है.
पश्चिमी भारत में इस उत्सव की रौनक देखने वाली होती है. उनमे से खासकर मुंबई और पुणे में, जहाँ इस दौरान देश भर के लोग बड़ी बड़ी मूर्तियाँ जैसे कि दागदुशेठ हलवाई, केसरी वाडा गणपति, लालबाग का राजा ऐसे और कई मूर्तियों को देखने के लिए दूर दूर से आते है. और इस त्योहार का आनंद उठाते है. चतुर्थी का यह उत्सव भी लगभग दस दिनों तक चलता है. जिसके कारण इसे गणेशोत्सव भी कहा जाता है.
गणेश उत्सव कब से कब तक मनाया जाता है
गणेश जी का त्योहार भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी पर गणपति की मूर्ति स्थापित करके उनकी पूजा के साथ शुरू होता है. और दस दिनों तक बप्पा को घर अनंत चतुर्दशी तक गणेश जी को घर में रखकर विदाई देते है. इस दिन, गणेश मूर्ति को महाराष्ट्र के प्रचलित ढोल ताश और लेझिम नृत्य के साथ विदा किया जाता है. गणेशोत्सव का समापन विसर्जन के साथ होता है.
गणेश पूजन विधि मंत्र
इस विधि के बाद प्राणायाम करें और इसके बाद शरीर शुद्धि नीछे दिए मंत्र से करें. मंत्र उच्चारते समय सभी ओर जल छिड़कें।
ॐ अपवित्र: पवित्रो वा सर्वावस्थां गतोऽपि वा।
य: स्मरेत् पुण्डरीकाक्षं स बाह्याभ्यन्तर: शुचि:।।
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