हर साल काली चौदस कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को काली चौदस मनाई जाती है. यह दिन मां काली को समर्पित होता है.
काली चौदस के दिन मां काली की पूजा करने से पहले अभ्यंग स्नान करना बहुत जरूरी होता है. मान्यता है कि ऐसा करने से व्यक्ति के सभी कष्टों से मुक्ति मिलती है. इस दिन मां काली की पूजा करने से पहले स्नान कर इत्र लगाकर पूजा में बैठें. उसके बाद एक चौकी पर लाल रंग का कपड़ा बिछा लें. उसके उपर मां काली की मूर्ति या तस्वीर स्थापित करें. फिर दीपक जलाएं. उसके बाद फल, पुष्प, कुमकुम, हल्दी, कपूर, नारियल और नैवेद्य मां काली को अर्पित करें. अंत काली चालीसा का पाठ करें और मंत्र जाप करें.
काली चतुर्दशी को नरक चतुर्दशी, भूत पूजा और रूप चतुर्दशी के नाम से भी जाना जाता है. पौराणिक कथा के अनुसार, पौराणिक कथा के मुताबिक प्राचीन काल में नरकासुर नामक एक राक्षस था। जो अपनी शक्तियों का दुरुपयोग कर ऋषियों-मुनियों, देवी-देवताओं और सोलह हजार राजकुमारियों को कैद कर लिया था। जिसके बाद राजकुमारियों और देवताओं ने परेशान होकर भगवान श्रीकृष्ण से मदद मांगी. जिसके बाद भगवान श्रीकृष्ण ने नरकासुर का वध कर दिया. नरकासुर के वध से संपूर्ण पृथ्वी लोक प्रसन्न था. नरका सुर का वध करने के बाद भगवान श्रीकृष्ण ने ऋषियों-मुनियों, देवी-देवताओं और सोलह हजार राजकुमारियों को मुक्त कराया. इसी खुशी के कारण उस दिन दीपक जलाए गए और चारों तरफ दीपदान भी किया गया.
काली चौदस का महत्व (Kali Chaudas Importance)
मान्यता है कि काली चौदस के दिन विधि विधान से पूजा करने वालों को मानसिक और शारीरिक दुखों से मुक्ति मिलती है. इसके साथ ही शरीर में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह होता है. मान्यता है की काली चौदस पर काली पूजा करने से शत्रु पर विजय प्राप्ति का वरदान मिलता है. जो साधक तंत्र साधना करते हैं काली चौदस के दिन महाकाली की साधना को अधिक प्रभावशाली मानते हैं.
Reviews
There are no reviews yet.