Ekadashi Kab Hai: दुर्लभ योग में रखा जाएगा यह एकादशी व्रत, साल में दो बार आने वाली इस एकादशी की जानें पूजा एकादशी व्रत का हिंदू धर्म में बड़ा महत्व है। मान्यता है कि हर हिंदू को अपने जीवन काल में एकादशी या त्रयोदशी में से कोई एक व्रत जरूर रखना चाहिए। आज हम ऐसी एकादशी के बारे में बताएंगे जो साल में दो बार आती है। खास बात यह है कि इस बार दुर्लभ योग बन रहा है। आइये जानते हैं कब है एकादशी, इस एकादशी की पूजा विधि क्या है
पुत्रदा एकादशी का क्या है महत्व (Paush Putrada Ekadashi Mahatv)
पौष पुत्रदा एकादशी व्रत और भगवान विष्णु मां लक्ष्मी की पूजा करने से दोनों की कृपा प्राप्त होती है। साथ ही लंबे समय से रूके काम पूरे होते हैं।
पौष पुत्रदा एकादशी पर ये विशेष योग (Paush Putrada Ekadashi Yog)
ज्योतिषाचार्य नीतिका शर्मा के अनुसार पौष पुत्रदा एकादशी 2025 अत्यंत कल्याणकारी है। इस दिन दिन भर ब्रह्म योग का विशेष संयोग रहेगा। शास्त्रों में इस शुभ संयोग में दान करने का विशेष महत्व बताया गया है। मान्यता है कि इस पवित्र अवसर पर व्रत करने से सभी इच्छाएं पूरी होती हैं।
कब है पौष पुत्रदा एकादशी (Ekadashi Kab Hai)
ज्योतिषाचार्य नीतिका शर्मा ने बताया कि पौष माह के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि के अगले दिन पुत्रदा एकादशी मनाई जाती है। इस साल पौष पुत्रदा एकादशी 10 जनवरी को मनाई जाएगी। पंचांग के अनुसार पौष माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि की शुरुआत 09 जनवरी को दोपहर 12:22 बजे होगी।
वहीं, 10 जनवरी को सुबह 10:19 मिनट पर एकादशी तिथि का समापन होगा। उदया तिथि में व्रत 10 जनवरी को माना जाएगाष साधक स्थानीय पंचांग के अनुसार व्रत रख सकते हैं।
ऐसे कर सकते हैं एकादशी व्रत (Ekadashi Vrat Vidhi Hindi)
1.पुत्रदा एकादशी पर सुबह जल्दी उठें और स्नान के बाद सूर्य को जल चढ़ाएं।
2. घर के मंदिर में भगवान विष्णु की पूजा करें और व्रत का संकल्प लें।
3. इसके बाद भगवान गणेश और फिर भगवान विष्णु-लक्ष्मी की पूजा करें।
4. दक्षिणावर्ती शंख में दूध भरकर श्रीकृष्ण का भी अभिषेक करें और विधिवत पूजा करें।
विष्णु-लक्ष्मी की पूजा (Vishnu Lakshami Puja Vidhi Hindi)
1. ज्योतिषी नीतिका शर्मा के अनुसार पुत्रदा एकादशी की सुबह घर के मंदिर में भगवान विष्णु और महालक्ष्मी की प्रतिमा स्थापित करें।
2. इसके बाद शंख में जल और दूध लेकर प्रतिमा का अभिषेक करें और भगवान को चंदन का तिलक लगाएं।
3. चावल, फूल, अबीर, गुलाल, इत्र आदि से पूजा करें और इसके बाद धूप-दीपक जलाएं।
4. लाल-पीले चमकीले वस्त्र अर्पित करें, मौसमी फलों के साथ सुपारी भी रखें।
5. गाय के दूध से बनी मिठाई का भोग लगाएं और भगवान की आरती करें।
6. ऊँ नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र का जप करें।
7. इस पूजा करने के बाद भगवान से जानी-अनजानी गलतियों के लिए भगवान से क्षमा याचना करें।
8. पूजा के बाद प्रसाद बांटें और खुद भी लें।
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