अयोध्या राम मंदिर का सम्पूर्ण इतिहास Ayodhya Ram Mandir History in Hindi
अयोध्या राम मंदिर का सम्पूर्ण इतिहास
Ayodhya Ram Mandir History in Hindi
500 वर्षों के अथक परिश्रम और बलिदान का फल 22 जनवरी 2024 के दिन राम भक्तों को मिलने वाला है जब, श्री राम लला के जन्मस्थान पर “भव्य मंदिर” का उद्घाटन प्रधान मंत्री “नरेन्द्र मोदी” के हाथों होगा।
इस विशाल भव्य मंदिर में श्री राम लला की मूर्ति में प्राण प्रतिष्ठा का अनुष्ठान होगा। अयोध्या नगरी को प्रभु श्री राम (The Lord Rama) की जन्मभूमि कहा जाता है। यह पावन स्थल हजारों महापुरुषों की कर्मभूमि है।
- अयोध्या में श्री राम का मंदिर कब और किसने बनवाया?
- निर्लज आक्रांताओं ने कैसे मंदिर को नष्ट कर के उस पवित्र स्थल पर “बाबरी ढांचा” बना दिया?
- इसके बाद न्याय के लिए सनातनीयों का संघर्ष, भ्रष्ट राजनीति में कारसेवकों पर अत्याचार, कोर्ट केस और अंत में सत्य की विजय।
- इसके बाद 22 जनवरी 2024 को “राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा”
- यही सम्पूर्ण घटनाक्रम इस लेख में संक्षिप्त में बताया गया है।कृपया इसे पूरा जरुर पढ़ें।
श्री राम का जन्म : इतिहासकारों की शोध अनुसार दशरथ राजा के पुत्र राम का जन्म 5114 ईस्वी पूर्व हुआ था। इस समय के बाद प्रति वर्ष चैत्र माह में “नवमी” के दिन भगवान राम के जन्मदिन स्वरूप “Ram Mavmi” का उत्सव मनाया जाता है।
पौराणिक ग्रंथों में अयोध्या का वर्णन :
अयोध्या 12 योजन लंबी और 3 योजन चौड़ी हुआ करती थी। यह भव्य नगरी सरयू नदी के तट पर बसी हुई थी। इस बात को वाल्मीकि कृत रामायण में भी बताया गया है। इस सुंदर नगरी में बहुत चौड़ी सड़कें और मनमोहक महल बने हुए थे। इसके साथ ही नगर की शोभा बढाने के लिए चौराहों पर बड़े बड़े सुवर्ण स्तंभ लगाए गए थे और नगर में हरेभरे बाग़ बागीचे बने हुए थे।
राम राज्य में हर एक व्यक्ति सुखी और संपन्न हुआ करता था। इस युग में सत्य बोलने की परंपरा हुआ करती थी। कहा जाता है की राम के पिता दशरथ राजा ने इंद्र की अमरावती के जैसे “अयोध्या पूरी” को सजाया था।
भगवान राम की जल समाधि के बाद अयोध्या :
श्री राम ने जिस काज के लिए धरती पर अवतार लिया था वह संपन्न होने के बाद उन्होंने जल समाधि ली थी। उनके स्वधाम लौटने के बाद अयोध्या कुछ समय के लिए वीरान बन गई थी। इसके बाद राम के पुत्र “कुश” ने सम्पूर्ण राजधानी को फिर सजा दिया था। इस भव्य निर्माण के उपरांत 44 पीढ़ियों तक “सुर्यवंश” का अस्तित्व बना रहा। वंश के आखरी सम्राट ब्रुहब्दल की मृत्यु अर्जुन पुत्र अभिमन्यु के हाथों हुई थी। इसके बाद एक बार फिर राम की नगरी अयोध्या उजड़ गई। लेकिन फिर भी श्री राम की लोक चाहना में कोई कमी नहीं हुई।
अयोध्या में कब और किसने बनवाया राम मंदिर :
उज्जैन के चक्रवर्ती सम्राट एक दिन शिकार पर निकले थे। उसी दौरान वह अयोध्या नगरी आ पहुंचे। वहां उन्हें कुछ चमत्कारिक अनुभव हुए। अधिक खोज-बिन करने और साधू संतों के विचार जानने के बाद उन्हें यह पता चला की वह “श्री राम” की जन्म भूमि है। इसके बाद वहां उन्होंने भव्य मंदिर, सरोवर और विशाल महल का निर्माण कराया। कहा जाता है की वह मनमोहक मंदिर काले रंग के कसौटी पत्थर के महाकाय 84 स्तंभ पर बना हुआ था। इस मंदिर का जीर्णोधार शुंग वंश के प्रथम शासक “पुश्यमिग शुंग” ने करवाया था।
राम जन्मभूमि के पुख्ता सबूत :
वर्ष 2003 में पुरातात्विक विभाग द्वारा एक गहन सर्वे किया गया। इस रिसर्च में उस स्थान पर मंदिर होने के स्पष्ट सबूत मिले थे। जिसमे मंदिर की बड़ी बड़ी आधर शिलाएँ (खभे) और उस पर चित्रित धार्मिक आकृतियाँ और अन्य शुभ चिन्ह मौजूद थे। इन सब सबूतों को फोटोग्राफी और विडियोग्राफी के माध्यम से संकलित किया गया। ताकि आमजन को इस बात का पता चले की उस “विवादित ढांचे” के निचे हिन्दू सनातन धर्म के आराध्य भगवान से जुड़े सबूत मौजूद है।
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