संसार में सकारात्मक शक्तियां हैं तो नकारात्मक भी मौजूद हैं। आप मानें या ना मानें लेकिन हमारे आसपास भूत-प्रेत भी मौजूद होते हैं और ये कई बार मनुष्य के शरीर पर कब्जा कर लेते हैं।
इसके पीछे उस आत्मा की कुछ अतृप्त इच्छाएं भी हो सकती हैं, इसके अलावा अकाल मृत्यु भी एक वजह है, जिसकी वजह से आत्मा नया जन्म नहीं ले पाती और मृत्यु लोक में ही भटकती रह जाती है
प्रेत बाधा निवारण पूजा
अगर आपकी कुंडली में प्रेत बाधा दोष है तो आपके शरीर पर किसी प्रेत का साया हो सकता है। जब किसी व्यक्ति पर बुरी आत्मा का साया होता है तो उसे काफी प्रताड़ना और दुःख सहना पड़ता है। भूत प्रेत की बाधा से बचने के लिए प्रेत बाधा दोष निवारण पूजा ही एकमात्र उपाय हैं, विधिपूर्वक पूजा करने पर भूत-प्रेत और ऊपरी बाधा से जल्दी ही मुक्ति मिलती है।
विश्व के लगभग सभी धर्म अच्छी और बुरी आत्माएं होने की बात को स्वीकार करते हैं। हिन्दू धर्म तथा ज्योतिषी विज्ञान के अनुसार बुरी आत्माएं जब शरीर में प्रवेश करती हैं तो वह जीव को काफी प्रताड़ना देती हैं, इसलिए ऊपरी बाधा के लक्षण जानने के बाद उसके निवारण हेतु प्रेत बाधा निवारण पूजा अवश्य करवानी चाहिए।
कुंडली के आधारपर प्रेत बाधा की कैसे करें पहचान
– कुंडली में प्रथम भाव में चन्द्र के साथ राहु की युति होने पर एवं पंचम और नवम भाव में कोई क्रूर ग्रह स्थित हो तो उस जातक पर भूत-प्रेत, पिशाच या बुरी आत्माओं का प्रभाव रहता है। इसके अलावा गोचर के दौरान भी यही स्थिति रहने पर प्रेत बाधा से पीडित होना निश्चित है।
– यदि किसी कुण्डली में शनि, राहु, केतु या मंगल में से कोई भी ग्रह सप्तम भाव में हो तो ऐसे लोग भी भूत-प्रेत बाधा या पिशाच या ऊपरी हवा आदि से परेशान रहते हैं।
– यदि किसी की कुण्डली में शनि-मंगल-राहु की युति हो तो उसे भी ऊपरी बाधा, प्रेत, पिशाच या भूत बाधा तंग करती है।
– ज्योतिष के अनुसार राहु की महादशा में चंद्र की अंतर्दशा हो और चंद्र दशापति राहु से 6, 8 या 12 वें भाव में बलहीन हो, तो व्यक्ति प्रेत बाधा दोष से पीड़ित होता है।
अन्य लक्षण
स्वभाव में बदलाव – जो जातक प्रेत-बाधा से पीड़ित है वह अव्यवहारिक, मूर्खतापूर्ण बातें करने लगता है तथा उसके स्वभाव में भी पल पल में परिवर्तन देखने को मिलता है। जब तक इस दोष के निवारण हेतु पूजा न की जाए व्यक्ति को इस बाधा से छुटकारा नहीं मिल सकता।
आँखों से बातें – भूत-प्रेत बाधा से पीड़ित जातक ज्यादातर आँखों से ही बाते करता है और उसकी आँखे सुर्ख लाल हो जाती है, जिसका प्रभाव दूसरों पर भी पड़ता है, ऐसे व्यक्तियों को देखकर अन्य लोगों के बीच भी डर की भावना उत्पन्न होती है।
शारीरिक दुर्घटना – प्रेत बाधा से पीड़ित व्यक्ति जोर-जोर से सांसे लेने लगता है, बार बार वह अपने ही शरीर को हानि पहुँचाने का प्रयास करता है, जिसके कारण कई बार वह चोटिल भी होता है, इस बाधा के प्रकोप से जातक काफी कमज़ोर हो जाता है और उसे गन्दा रहना अच्छा लगता है, उसके शरीर से दुर्गन्ध आने लगती है और वह एकांत में रहना पसंद करता है। इसके प्रभाव में आने वाला जातक चीखता-चिल्लाता है, रोने लगता है और इधर-उधर भागने लगता है, इस तरह की दिक्कतों से बचने के लिए जल्द से जल्द प्रेत बाधा निवारण पूजा करवानी चाहिए।
सामान्यतः इस बाधा के कारण स्रियाँ प्रभावित हो जाती है, इस प्रेत बाधाओं की शक्ति से प्रभावित स्त्री रोती और चिल्लाती है और कभी-कभी बेहोश भी हो जाती है, पीड़ित स्त्री के शरीर में ज़ोर से दर्द होता है और शरीर कांपने लगता है तथा वह अपना पूरा शरीर छोड़ देती है और दुर्घटनाग्रस्त होती है।
पूजा का महत्व
यह पूजा करवाने से आपको बहुत ही जल्दी भूत-प्रेत बाधाओं से मुक्ति मिलती है। इस पूजा के प्रभाव से जातक के जीवन में बदलाव आता है तथा शारीरिक और मानसिक चिंताएं दूर होती हैं। नौकरी, करियर और जीवन में आ रही सभी प्रकार की बाधाएं दूर होती है।
पूजन का समय – पूजा का समय शुभ मुहुर्त देखकर तय किया जाएगा।
यजमान द्वारा वांछित जानकारी – नाम एवं गोत्र, पिता का नाम, जन्म तारीख, स्थान ||
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