रुद्राभिषेक क्या है ? (What is Rudrabhishek?)
रुद्राभिषेक (Rudrabhishek) हिन्दू धर्म में एक धार्मिक अनुष्ठान है जो भगवान शिव के प्रति समर्पित होता है। “रुद्र” भगवान शिव का एक नाम है और “अभिषेक” का अर्थ है पवित्र जल, दूध, दही, घी, शहद और अन्य पवित्र द्रव्यों से पूजा के दौरान स्नान कराना। इस अनुष्ठान का उद्देश्य भगवान शिव की कृपा प्राप्त करना, पापों का नाश करना और जीवन में सुख, समृद्धि, स्वास्थ्य एवं आत्मिक शांति की प्राप्ति करना होता है।
रुद्राभिषेक (Rudrabhishek) में वेदों से लिए गए मंत्रों का जाप किया जाता है, जिसे ‘रुद्रम’ कहा जाता है, और इसमें ‘नमकम’ और ‘चमकम’ शामिल होते हैं। इस अनुष्ठान को विशेष तिथियों जैसे कि महाशिवरात्रि, सावन के महीने, या अन्य शुभ अवसरों पर किया जाता है। भक्त अपनी मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए या किसी विशेष प्रयोजन के लिए रुद्राभिषेक (Rudrabhishek) का आयोजन करते हैं।
इस पूजा के दौरान, भगवान शिव के लिंगम या मूर्ति का अभिषेक विशेष रूप से तैयार किए गए पवित्र जल और अन्य द्रव्यों से किया जाता है। इसे बहुत ही श्रद्धा और भक्ति के साथ सम्पन्न किया जाता है, और इसे संपन्न करने के लिए पुरोहित या आचार्य की सहायता ली जाती है। रुद्राभिषेक (Rudrabhishek) को हिन्दू धर्म में बहुत ही पवित्र और शक्तिशाली अनुष्ठान माना जाता है।
रुद्राभिषेक (Rudrabhishek) की पौराणिक कथा क्या है
रुद्राभिषेक (Rudrabhishek) से जुड़ी एक प्रमुख पौराणिक कथा हिन्दू धर्मग्रंथों में वर्णित है, जो भगवान शिव और सती की कहानी से संबंधित है। इस कथा के अनुसार, एक बार दक्ष प्रजापति ने एक बड़ा यज्ञ आयोजित किया लेकिन उन्होंने अपने दामाद भगवान शिव को आमंत्रित नहीं किया क्योंकि वह उनसे नाराज़ थे। भगवान शिव की पत्नी सती, दक्ष की पुत्री, इस यज्ञ में बिना आमंत्रण के गईं और वहां उन्होंने अपने पति का अपमान होते देखा। सती इससे इतनी आहत हुईं कि उन्होंने यज्ञ की अग्नि में कूदकर अपने प्राण त्याग दिए।
जब भगवान शिव को इस घटना की जानकारी मिली, तो वे अत्यंत दुःखी और क्रोधित हुए। उन्होंने वीरभद्र और भूतगणों को भेजकर यज्ञ को नष्ट कर दिया और दक्ष को भी दंडित किया। बाद में, सभी देवताओं ने भगवान शिव से अपने क्रोध को शांत करने का अनुरोध किया।
इस घटना के बाद, शिव ने अपनी पत्नी सती की स्मृति में तपस्या की। देवताओं ने भगवान शिव को प्रसन्न करने और उनके क्रोध को शांत करने के लिए उनका रुद्राभिषेक (Rudrabhishek) किया। इस अनुष्ठान में शिवलिंग पर विभिन्न पवित्र द्रव्यों से अभिषेक किया गया, जिससे भगवान शिव प्रसन्न हुए और उन्होंने ब्रह्मांड में शांति की स्थापना की।
इस कथा से यह सिख मिलती है कि भगवान शिव के प्रति सच्ची भक्ति और श्रद्धा से उन्हें प्रसन्न किया जा सकता है और उनके आशीर्वाद से जीवन में सुख, शांति, और समृद्धि प्राप्त की जा सकती है। रुद्राभिषेक (Rudrabhishek) की यह पौराणिक कथा भक्तों को दिखाती है कि कैसे भगवान शिव की आराधना से बड़ी से बड़ी बाधाएं भी दूर हो सकती हैं।
रुद्राभिषेक (Rudrabhishek) का आयोजन मुख्यतः भगवान शिव की आराधना के लिए किया जाता है, जिसका उद्देश्य उनकी कृपा प्राप्त करना, पापों का नाश करना, और जीवन में सुख, समृद्धि, स्वास्थ्य, और आत्मिक शांति की प्राप्ति होता है। रुद्राष्टाध्यायी के अनुसार, रुद्र और शिव एक ही हैं, और रुद्र का अर्थ है वह शक्ति जो दुखों को नष्ट करती है। यहाँ ‘रुतम्-दु:खम्, द्रावयति-नाशयतीति रुद्र:’ का अर्थ है रुद्र वह हैं जो दुखों को नष्ट करते हैं।
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