However, 16 Somvar Vrat
सोलह सोमवार जो श्रावण में रखे जाते हैं उन्हें सूर्योदय से लेकर संध्याकाल तक किया जाता है। इसके बाद विधि सहित शिव-पार्वती पूजन और सोमवार व्रत कथा सुननी चाहिए। जिसने व्रत को रखा हो वो दिन में एक ही बार भोजन करता है। जो सोलह सोमवार का व्रत रखना चाहते हैं वो सावन के पहले सोमवार से व्रत रखना शुरू करते हैं
Solah somvar vrat katha
In contrast, Solah somvar vrat katha एक बार सनत कुमारों ने भगवान शिव से उनसे सावन का महीना प्रिय होने का कारण जानना चाहा। भोले भण्डारी ने बताया कि देवी सती ने अपने पति को हर जन्म में पाने का प्रण कर रखा था। जब देवी सती ने अपने पिता के घर अपने पति का अपमान न सह पाने के कारण अपने शरीर का त्याग कर दिया था तो कुछ समय बाद उन्होनें राजा हिमाचल और उनकी पत्नी मैना देवी के घर जन्म लिया। इस जन्म में उनका नाम पार्वती था। अपने पूर्व जन्म के प्रण के कारण उन्होने इस जन्म में भी भगवान शिव को पति रूप में पाने के लिए बहुत कठोर तपस्या करी। उनकी तपस्या से भगवान शिव प्रसन्न हो गए और उनका पार्वती जी से विवाह के लिए स्वीकृति दे दी। इस प्रकार पार्वती जी का शिव जी को हर जन्म में अपना पति के रूप में पाने का प्रण पूरा हुआ।
- अभिषेक के दौरान पूजन विधि के साथ-साथ मंत्रों का जाप भी बेहद आवश्यक माना गया है। महामृत्युंजय मंत्र, भगवान शिव का पंचाक्षरी मंत्र या अन्य मंत्र, स्तोत्र जो कंठस्थ हो।
- शिव-पार्वती की पूजा के बाद सोमवार की व्रत कथा करें।
- आरती करने के बाद भोग लगाएं और घर परिवार में बांटने के बाद स्वयं ग्रहण करें।
- नमक रहित प्रसाद ग्रहण करें।
- दिन में शयन न करें।
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