गुरु मंत्र जाप विधि : सम्पूर्ण लाभ के लिये गुरु मंत्र का जाप कैसे करे ? | Guru mantra jaap vidhi
गुरु मंत्र जाप विधि Guru mantra jaap vidhi : प्रणाम गुरुजनों आज हम आप लोगों को इस लेख के माध्यम से गुरु मंत्र जाप विधि बताएंगे गुरु मंत्र सभी सिद्धियों का मूल है यदि व्यक्ति के जीवन में गुरु नहीं है तो वह ईश्वर के समीप नहीं पहुंच सकता है.
ऐसा कहा जाता है कि भगवान राम और कृष्ण ने भी गुरु से मंत्र दीक्षा ली थी गुरु दीक्षा और गुरु की शिक्षा व्यक्ति को मौत से भी बचाती है वैसे तो मरना सभी को है परंतु गुरु दीक्षा लेकर गुरु शिक्षा पर चलने वाले व्यक्ति अंतिम सांसे घर पर ही लेते हैं अस्पताल में नहीं अगर आप गुरु मंत्र लेना चाहते हैं तो इसके लिए आपको बिना जाके गुरु मंत्र नहीं लेना चाहिए.
अगर आप बिना जाप के गुरु मंत्र लेते हैं तो वह प्रभावहीन होता है गुरु मंत्र को लेने के लिए एक करोड़ जाप जन्म कुंडली के एक घर को बदल देते हैं यदि गुरु मंत्र के 12 करोड़ याद किए जाएं तो जीवन की दिशा ही बदल जाती है फिर मौत भी मुक्ति लेकर आती है.
अगर आप भी ईश्वर का भरोसा जीतना चाहते हैं और उनका आशीर्वाद लेना चाहते हैं तो हमारे द्वारा बताए गए इस गुरु मंत्र का जाप करिए अगर आप गुरु मंत्र जाप विधि जानना चाहते हैं तो हमारे इस लेख को अंत तक जरूर पढ़ें आज हम आपको सबसे पहले गुरु मंत्र के बारे में बताएंगे.
गुरू का अर्थ क्या होता है ? | Guru ka arth kya hai ?
गुरु का अर्थ होता है जो गुरु ज्ञान देता है उससे ही गुरु कहा जाता है गुरु शब्द का अर्थ शिक्षक को कहा जाता है उसी के आधार पर व्यक्ति का पहला गुरु उसके माता-पिता होते हैं दूसरा गुरु उसके शिक्षक होते हैं और जो अक्षर ज्ञान करवाता है उसे भी गुरु कहा जाता है।
गुरु मंत्र हिंदी | Guru mantra Hindi
अगर आप अपने गुरु का सम्मान करना चाहते हैं उनके प्रति श्रद्धा और अर्चना करना चाहते हैं तो हमारे द्वारा बताए गए मंत्र का जाप करें।
गुरुर्ब्रह्मा गुरुर्विष्णुः गुरुर्देवो महेश्वरः ।
गुरुः साक्षात् परं ब्रह्म तस्मै श्री गुरवे नमः ॥
अर्थ – गुरु ही आपके जीवन का ब्रह्मा, विष्णु, महेश के समान कल्याण करता है बुद्धि विचार का विकास करता है और अनुशासन मार्गदर्शन से जीवन को सफल बनाने में आपकी सहायता करता है यह गुरु ही ब्रह्मा है गुरु ही विष्णु है गुरु ही महेश है अर्थात भगवान शिव है साक्षात परब्रह्म परमात्मा कि हमारे उद्धार के लिए गुरु रूप में प्रकट होते हैं और ज्ञान का मार्गदर्शन करवाते हैं अर्थात मैं ऐसे महान सदा गुरु को प्रणाम करती हूं।
गुरु मंत्र जाप विधि | Guru mantra jaap vidhi
गुरु गायत्री मंत्र | Guru Gayatri mantra
ॐ वेदाहि गुरु देवाय विद्महे परम गुरुवे धीमहि तन्नौ: गुरु: प्रचोदयात्।
नमामि महादेवं देवदेवं, भजामि भक्तोदय भास्करम तं |
ध्यायामि भूतेश्वर पाद्पंकजम, जपामि शिष्योद्धर नाम रूपं
ॐ त्वमा वह वहै वद वै गुरौर्चन घरै सह प्रियन्हर्शेतु I
अर्थ – हे गुरुदेव ! आप सर्वज्ञ हैं, हम इश्वर को नहीं पहचानते, उन्हें नहीं देखा है, पर आपको देखा है और आपके द्वारा ही उस प्रभु के दर्शन सहेज, संभव हैं | हम अपने ह्रदय को समर्पित कर आपका अर्चन पूजन करके पूर्णता प्राप्त करने आकांक्षी हैं।
गुरु वंदना मंत्र | Guru Vandana Mantra
ॐ शिवरूपाय महत् गुरुदेवाय नमः
ॐ परमतत्वाय नारायणाय गुरुभ्यो नम:।
ॐ गुं गुरुभ्यो नम:
ॐ जेत्रे नम:
ॐ गुरुभ्यों नम:।
ॐ धीवराय नम:
ॐ गुणिने नम:
जानिए, आपकी जन्म राशि अनुसार गुरु-मंत्र | Guru Mantra
जन्म राशि | गुरु मंत्र |
मेष राशि | ॐ अव्ययाय नम: |
वृषभ राशि | ॐ जीवाय नम: |
मिथुन राशि | ॐ धीवराय नम: |
कर्क राशि | ॐ वरिष्ठाय नम: |
सिंह राशि | ॐ स्वर्णकायाय नम: |
कन्या राशि | ॐ हरये नम: |
तुला राशि | ॐ विविक्ताय नम: |
वृश्चिक राशि | ॐ जीवाय नम: |
धनु राशि | ॐ जेत्रे नम: |
मकर राशि | ॐ गुणिने नम: |
कुंभ राशि | ॐ धीवराय नम: |
मीन राशि | ॐ दयासाराय नम: |
गुरु मंत्र के नियम | Guru mantra ke niyam
कुछ लोग तो गुरु के बनाए हुए नियमों पर ही और गुरु मंत्र के मार्ग पर ही चलते हैं ऐसे भक्तों को तो गुरु मंत्र दे ही देना चाहिए जो व्यक्ति पैसे देकर गुरु मंत्र लेते हैं वह भी नाम मात्र का ही गुरु मंत्र लेते हैं यदि किसी व्यक्ति को गुरु गुरु मंत्र देता है तब भी उस व्यक्ति को गुरु मंत्र जाप के साथ आध्यात्मिक प्रगति के लिए त्याग तथा सत सेवा सभी से निरपेक्ष प्रेम कराना चाहिए। तभी उस व्यक्ति को गुरु मंत्र देना चाहिए।
गुरु मंत्र के फायदे | Guru Mantra ke fayde
जो गुरु हमें ज्ञान देते हैं उससे हमारे जीवन में अज्ञान का नाश हो जाता है और हमारे जीवन को एक नई दिशा प्राप्त हो जाती है क्या आप जानते हैं कि गुरु दो प्रकार के होते हैं एक जो आपको स्कूल में पढ़ाई शिक्षा से संबंधित ज्ञान प्राप्त करवाते हैं और एक गुरु जो हमें इस माया रुपी संसार का ज्ञान प्राप्त करवाते हैं.
इससे हमें मुक्ति दिलवा ते हैं वह व्यक्ति हमारा गुरु ही होता है वाह गुरु हमें किसी ना किसी रूप में कल्याणकारी शिक्षा देने के लिए प्रकट हो जाता है
एक बार शंकराचार्य नदी से स्नान करके वापस लौट रहे थे तो उनके मार्ग में एक चांडाल पड़ गया था शंकराचार्य जी ने उसे अपने रास्ते से हट जाने के लिए कहा था क्योंकि यदि चांडाल से उसका शरीर स्पर्श हुआ तो वह अपवित्र हो जाते. चांडाल ने उससे कहा आप किसे हटने के लिए कह रहे हैं मेरे शरीर को या मेरी आत्मा को क्या आप मेरे छूने से अपवित्र हो जाएंगे क्योंकि मेरा चांडाल शरीर और आपका ब्राह्मण शरीर दोनों ही पंचतत्व से बने हुए हैं जो आपके अंदर आत्मा निवास करती है.
वही मेरे अंदर आत्मा निवास करती है और आत्मा उसी परब्रह्म पर परमात्मा का अंश है जो कि संसार के हर व्यक्ति हर जीव के अंदर विद्यमान रहता है हमारी और आपकी आत्मा में कोई भी भिन्नता नहीं है जब हम एक ही त्वचा और एक ही आत्मा से बने हुए हैं तो आप मुझे करने के लिए क्यों कह रहे हैं.
चांडाल के वचन सुनकर चाणक्य को ज्ञान हुआ कि इस सामान्य चांडाल कितने उच्च ज्ञान बताइए तो उसी समय शंकराचार्य ने चांडाल अपना गुरु कह दिया गुरु कहने के बाद गुरु को प्रणाम किया और उस ज्ञान पर आधारित मनीष पंचकाम स्तोत्र की रचना की।
इसी से ही पता चलता है कि गुरु की महिमा को शब्दों में वर्गीकृत नहीं किया जा सकता है जब स्वयं भगवान ने ही अवतार लिया तो उन्होंने भी अपने गुरु के चरण में बैठकर ज्ञान अर्जित किया था इसीलिए हम लोगों को अपने गुरु का आदर सम्मान करना चाहिए.
भगवान ने या लीला हमें समझाने के लिए इससे हम गुरु की महत्वता को समझें और अपने जीवन में उतार कर सतगुरु का आश्रय लेकर उसका महत्व समझ सके आशा है कि इस गुरु मंत्र गुरु मंत्र के फायदे और गुरु मंत्र का अर्थ आपको अच्छा लगा होगा।
गुरु मंत्र के फायदे | Guru mantra ke fayde
गुरु मंत्र देवता का नाम मंत्र अंक अर्थात शब्द होता है जो गुरु अपने शिष्य को जाप के रूप में देता है और उसी गुरु मंत्र से शिष्य अपने फल स्वरुप आध्यात्मिक शिक्षा को उन्नति करता है और उसी से वह मोक्ष की प्राप्ति करता है क्या आप जानते हैं कि गुरु मंत्र में जिस देवता का नाम होता है विशेष रूप से उससे से की आध्यात्मिक प्रगति के लिए ही बना होता है.
मोक्ष की प्राप्ति मनुष्य के जीवन में सर्वोत्तम आध्यात्मिक अनुभूति रखता है उससे आप ईश्वर के साथ एक रूप हो जाने का अनुभव करते हैं किसी को एक ऐसा साधक माना जाता है जिसका आध्यात्मिक स्तर हो इसका अर्थ है किससे हुआ है जो साधना के समय अपने तन मन और धन का त्याग कर दे और आध्यात्मिक उन्नति प्राप्त कर तीव्र लगन से उस गुरु मंत्र की परिणामकारकता देता है।
श्री गुरुस्तोत्रम्: | Guru Stotram
गुरुर्ब्रह्मा गुरुर्विष्णु: गुरुर्देवो महेश्वर: ।
गुरु: साक्षात् परंब्रह्म तस्मै श्री गुरवे नम: ||1 ||
अखण्ड मण्डलाकारं व्याप्तं येन चराचरम् ।
तत्पदं दर्शितं येन तस्मै श्रीगुरवे नमः ॥२॥
अज्ञानतिमिरान्धस्य ज्ञानाञ्जनशालाकया ।
चक्षुरुन्मीलितं येन तस्मै श्रीगुरवे नमः ॥३॥
स्थावरं जङ्गमं व्याप्तं येन कृत्स्नं चराचरम् ।
तत्पदं दर्शितं येन तस्मै श्रीगुरवे नमः ॥४॥
चिद्रूपेण परिव्याप्तं त्रैलोक्यं सचराचरम् ।
तत्पदं दर्शितं येन तस्मै श्रीगुरवे नमः ॥५॥
सर्व श्रुतिशिरोरत्न समुद्भासितमूर्तये ।
वेदान्ताम्बूजसूर्याय तस्मै श्रीगुरवे नमः ॥६॥
चैतन्यः शाश्वतः शान्तो व्योमातीतोनिरञ्जनः ।
बिन्दूनाद कलातीत स्तस्मै श्रीगुरवे नमः ॥७॥
ज्ञानशक्ति समारूढस्तत्त्व मालाविभूषितः ।
भुक्ति मुक्तिप्रदाता च तस्मै श्रीगुरवे नमः ॥८॥
अनेक जन्मसम्प्राप्त कर्मेन्धनविदाहिने ।
आत्मञ्जानाग्निदानेन तस्मै श्रीगुरवे नमः ॥९॥
शोषणं भवसिन्धोश्च प्रापणं सारसम्पदः ।
यस्य पादोदकं सम्यक् तस्मै श्रीगुरवे नमः ॥१०॥
न गुरोरधिकं तत्त्वं न गुरोरधिकं तपः ।
तत्त्वज्ञानात् परं नास्ति तस्मै श्रीगुरवे नमः ॥११॥
मन्नाथः श्रीजगन्नाथो मद्गुरुः श्रीजगद्गुरुः ।
मदात्मा सर्वभूतात्मा तस्मै श्रीगुरवे नमः ॥१२॥
गुरुरादिरनादिश्च गुरुः परमदैवतम् ।
गुरोः परतरं नास्ति तस्मै श्रीगुरवे नमः ॥१३॥
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