जागो भैरवी

लिंग के रूप में जो अद्वितीय रूप से अभिव्यक्त हैं, आठ फीट ऊँची लिंग भैरवी देवी की प्रतिष्ठा सद्‌गुरु ने ठोस पारे से एक शक्तिशाली उर्जा स्रोत के रूप में की है। लिंग भैरवी की प्रतिष्ठा प्राणप्रतिष्ठा की एक गूढ़ प्रक्रिया से की गयी थी जिसमें जीवन उर्जा का प्रयोग करते हुए साधारण से पत्थर को एक देवी के रूप में परिवर्तित कर दिया जाता है। भक्त कुछ भी प्राप्त करना चाहे, उपभोग करना चाहे या फिर जीवन के शारीरिक और भौतिक आयामों से परे जाना चाहे, देवी वह सब कुछ, और इससे भी अधिक देने वालीं पूर्ण शक्ति हैं।

यहाँ सद्‌गुरु स्त्री शक्ति की पूजा तथा लिंग भैरवी देवी के बारे में बात कर रहे हैं…..

स्त्री शक्ति की पूजा, धरती पर पूजा का सबसे प्राचीन रूप है। भारत, यूरोप, अरब और अफ्रीका के बड़े हिस्सों में देवी पूजा होती थी| लेकिन आज सारे विश्व में पुरुष शक्ति पर बहुत अधिक जोर दिए जाने कारण स्त्री शक्ति की पूजा करने वाली बस अब भारतीय संस्कृति ही है।

ध्यान लिंग प्रतिष्ठा के कुछ दिन पहले मैं कुछ लोगों के साथ देवी मंदिरों के दर्शन के लिये गया था। मैं इन मंदिरों की खोज में गया और आश्चर्यचकित रह गया| छोटे शहरों, कस्बों में, कहीं कहीं छोटे छोटे गावों में भी, सैकड़ों वर्षों पूर्व प्रतिष्ठित किये गये देवी मंदिर आज भी पूर्ण रूप से जीवंत हैं, शक्तिशाली एवं प्रखर रूप में| इनमें से अधिकांश मंदिर उस स्थानीय इलाके के लिये विशेष उद्देश्य से बनाये गये थे। जिन्होंने भी यह किया, बहुत अच्छे ढंग से किया था। बहुत अच्छी तकनीक प्रयुक्त हुई थी। यदि इतनी जगहों पर यह हुआ था तो स्पष्ट रूप से यह सब हर जगह होता था और लोगों को अच्छी तरह से इसकी जानकारी थी| यह देखना अत्यंत सुखद था कि एक छोटे से गाँव में किसी ने कुछ ऐसी प्रतिष्ठा की थी जिसमें बहुत बड़ी मात्रा में सूक्ष्मता की आवश्यकता थी। वे अनाम, अज्ञात योगी थे। किसी को नहीं मालूम, वे कौन लोग थे| उन्होंने अपने नाम उन मंदिरों पर नहीं लिखे थे, और यह इसका एक अत्यंत सुन्दर पक्ष है—उन्होंने अपना नाम तक देना जरूरी नही समझा। जो उर्जा उन्होंने वहां छोड़ी बस वो ही पर्याप्त है।

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लिंग भैरवी की प्राण प्रतिष्ठा – देवी का जन्म

मैं चाहता हूं कि आप यह जानें कि हमारी संस्कृति हमेशा यह बताती है कि ईश्वर हमारा लक्ष्य नहीं है, हमारा लक्ष्य मुक्ति है। मुक्ति के लिए ईश्वर बस एक साधन है। अगर आप चाहते हैं तो आप इस साधन का इस्तेमाल कर आगे बढ़ सकते हैं, नहीं तो इसे छोडक़र भी आप आगे जा सकते हैं। यह आप पर है कि आप कैसे अपने लक्ष्य तक पहुंचना चाहते हैं, लेकिन लक्ष्य मुक्ति ही है, ईश्वर नहीं।

इसलिए हमने लाखों देवी-देवता बनाए। देवी-देवता बनाने की यह प्रक्रिया अब भी चालू है। 2010 में हमने ईशा योग सेंटर, कोयंबटूर, में देवी लिंग भैरवी की प्राण-प्रतिष्ठा की। हो सकता है कि ये तार्किक रूप से सही न लगे – भारत में ऐसे कई मंदिर हैं, जहां योनि रूप स्थापित हैं। योनि यानी स्त्री जनन अंग को देवी मां की तरह पूजा जाता है।

लिंग भैरवी बहुत शक्तिशाली ऊर्जा का एक स्त्रैण स्वरूप हैं। ऐसे ऊर्जा-स्वरूप पहले भी हमारे यहां हुए हैं, लेकिन वे काफी दुर्लभ हैं। ऐसे कुछ ऊर्जा-स्वरूप लिंग के रूप में भी रहे हैं, जो कि स्त्रियोचित लिंग हैं। हो सकता है कि ये तार्किक रूप से सही न लगे – भारत में ऐसे कई मंदिर हैं, जहां योनि रूप स्थापित हैं। योनि यानी स्त्री जनन अंग को देवी मां की तरह पूजा जाता है। इस तरह के मंदिर पूरी दुनिया में हैं। बाद में जब कपटी और लज्जा भरी संस्कृति आई, तो इन मंदिरों को गिरा दिया गया, लेकिन आज भी भारत में ऐसे बहुत सारे मंदिर हैं – कामाख्या मंदिर इनमें से एक है। लेकिन स्त्रियोचित ऊर्जा को लिंग के रूप में पूजना दुर्लभ है। ऐसे बहुत ही कम मंदिर हैं और वे भी सार्वजनिक जगहों पर नहीं हैं। बहुत ही वीरान जगहों पर ऐसे छोटे-छोटे मंदिर हैं। शायद ऐसा पहली बार हुआ है कि हमने इस तरह के मंदिर का निर्माण किया है, जो कि सभी लोगों के लिए खुला है और इसकी देखभाल भी अलग तरह से होती है। स्त्रियोचित ऊर्जा का यह सबसे तीव्र और प्रखर रूप है।

लिंग भैरवी एक पूर्ण स्त्री हैं

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